Wednesday 27 April 2022

हम कौन हैं ये दुनिया सोचे, वो कौन हैं ये भारत ने सोचना छोड़ दिया है- विदेश मंत्री जयशंकर ने पश्चिमी देशों को फिर सुनाया

 हम कौन हैं ये दुनिया सोचे, वो कौन हैं ये भारत ने सोचना छोड़ दिया है- विदेश मंत्री जयशंकर ने पश्चिमी देशों को फिर सुनाया



नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर पश्चिमी दुनिया को खरी-खटी सुनाने को लेकर पिछले कई दिनों से लगातार सुर्खियां बटोर रहे हैं। दिल्ली में आयोजित रायसीना डायलॉग में भी उनका वहीं अंदाज दिखा जब उन्होंने अमीर देशों को कहा कि वो अब भारत से उनकी मुरादें पूरी करने की उम्मीद छोड़ दें। जयशंकर ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि दुनिया, भारत को समझे और उसकी के अनुरूप व्यवहार करे। मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली स्थित रायसीना डायलॉग (Raisina Dialogue) में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (Foreign Minister S Jaishankar) के साथ यूरोपीय देशों के विदेश मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया।

बीत गया वो जमाना जब दुनिया...
जयशंकर ने इस आयोजन में साफ कहा कि भारत अपनी शर्तों पर बाकी देशों से रिश्ते बनाएगा, इसके लिए हमें किसी की सलाह की जरूरत नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि हमें दुनिया को खुश रखने के लिए ये जानने की जरूरत नहीं है कि वो कौन हैं बल्कि दुनिया को ये जानना पड़ेगा कि हम कौन हैं। इसके अलावा जयशंकर ने अफगानिस्तान, चीन का मुद्दा समेत कई बातों पर अपनी बात रखी। जयशंकर ने बिना कोई लाग-लपेट कहा कि दुनिया हमारे बारे में राय गढ़े और फिर हम उसकी इच्छा के अनुरूप फैसले लें, यह जमाना लद चुका है। उन्होंने दावा किया कि अगले 25 वर्षों में वैश्वीकरण का केंद्र भारत ही होगा।

रूस-यूक्रेन की नीति पर सवाल उठाने पर यह मिला जवाब
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar To Europe) ने भारत की रूस-यूक्रेन नीति (Russia-Ukraine Policy) पर सवाल उठाने को लेकर यूरोप पर निशाना साधा। उन्होंने यूरोप को ध्यान दिलाया कि जब एशिया में नियम-आधारित व्यवस्था खतरे में थी तब आप वास्तव में भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए पीछे की ओर नहीं झुक रहे थे। एस जयशंकर ने आगे कहा कि एशिया में चुनौतियों के बीच हमें यूरोप की तरफ से और व्यापार करने की सलाह दी जा रही थी। कम से कम हम आपको सलाह तो नहीं दे रहे हैं।

अफगानिस्तान पर पढ़ा दिया पाठ
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अफगानिस्तान के मुद्दे (Afghanistan Issue) पर यूरोप से कहा कि अफगानिस्तान पर आप मुझे बताइए कि नियम-आधारित व्यवस्था का कौन सा भाग सही ठहराता है जो दुनिया ने वहां पर किया। एस जयशंकर ने आगे कहा कि कोई भी देश टकराव के व्यवहारिक परिणाम नहीं देखना चाहता जैसे ऊर्जा की उंची कीमतें, खाद्य मुद्रास्फीति, दूसरे अवरोध आदि। जयशंकर ने कहा कि इस टकराव में कोई भी विजेता नहीं कहलाएगा।

चीन का नाम लिए बिना साधा निशाना
रायसीना डायलॉग कार्यक्रम (Raisina Dialogue Program) के दौरान एस जयशंकर ने चीन का नाम लिए बगैर कई बड़ी बातें कहीं। जयशंकर ने कहा कि यूरोप पूर्व में एशिया में चीन के आचरण से पैदा हुए सुरक्षा खतरों के प्रति असंवेदनशील रहा है। चीन के साथ सीमा विवाद जैसे मुद्दों पर जयशंकर ने कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां सीमाएं अब तक स्थिर नहीं हैं। जयशंकर ने आगे कहा कि यूरोप उस वक्त भी असंवेदनशील था जब बीजिंग एशिया को धमका रहा था।

'एशिया में 10 साल से हो रही चीजें यूरोप का नहीं गया ध्यान'
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी स्पीच में आगे कहा कि यूरोप की तरफ से कई बार बहस की जाती है कि जो चीजें यूरोप में हो रही हैं उसके लिए एशिया को चिंतित होना चाहिए क्योंकि यह चीजें एशिया में भी हो सकती हैं। मैं बताना चाहता हूं कि एशिया में चीजें आज नहीं वहां पिछले 10 सालों से ऐसा हो रहा है लेकिन यूरोप ने कभी मुड़कर नहीं देखा। यह यूरोप के लिए जागने का समय है और केवल यूरोप नहीं बल्कि एशिया की तरफ भी देखने की जरूरत है। जयशंकर ने आगे कहा कि एशिया में आतंकवाद और अस्थिर सीमाएं जैसी समस्याएं हैं। हमें यह भी समझना होगा कि समस्याएं आने वाली नहीं बल्कि आ चुकी हैं।

(स्रोत: नवभारत टाइम्स)


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