Saturday 6 March 2021

इतिहास रचयिता - लेखक:- कृष्ण बल्लभ शर्मा 'योगीराज'

 इतिहास रचयिता

विध्नों से नहीं घबराते हैं,

कष्टों में भी मुस्काते हैं |

इतिहास रचयिता जो होते,

काँटों में राह बनाते हैं |

 

कोई काम नहीं ऐसा जग में,

जो वीर नहीं कर सकते हैं |

जो ठान लिया सो ठान लिया,

पूरा कर के ही रुकते हैं |

 

साथ किसी का मिले मिले,

खुद आगे बढते जाते हैं |

तकदीर की बातें करते नहीं,

कर्मों पे भरोसा करते हैं |

 

अवसर की प्रतीक्षा करते नहीं,

अवसर वे पैदा करते हैं |

प्रतिकूल समय की परवा () नहीं,

प्रतिकूल हवा में बढते हैं |

 

कुछ लोग खफा उनसे रहते,

जिनका है स्वार्थ नहीं सधता |

पर जीता जो जग की खातिर,

खुश एक को कैसे कर सकता ?

 

हो सकता जितना उनसे,

कर्त्तव्य निभाते जाते हैं |

सबकी खातिर वे जीते हैं,

वे सब पर प्यार लुटाते हैं |

 

दूसरों की नहीं वे नकल करते,

इतिहास नही दोहराते हैं |

इतिहास नया वे रचते हैं,

इतिहास पुरूष कह्लाते हैं |

n  कृष्ण बल्लभ शर्मायोगीराज

(“इतिहास रचयितानामक पुस्तक से उद्धृत)

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