Tuesday 15 March 2022

कड़ाके की ठंड में भी खौलता है इस गुरूद्वारे का पानी, चमत्कार ऐसा कि वैज्ञानिकों की रिसर्च भी है इसके आगे फेल

कड़ाके की ठंड में भी खौलता है इस गुरूद्वारे का पानी, चमत्कार ऐसा कि वैज्ञानिकों की रिसर्च भी है इसके आगे फेल


कुल्लू जिले की खूबसूरत पार्वती घाटी में मौजूद मणिकर्ण सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगहों में आती हैं। पवित्र गुरूद्वारे के लिए प्रसिद्ध, ये जगह अपने गर्म पानी के झरनों के लिए सबसे ज्यादा मशहूर है। आपको बता दें, यहां के गर्म उबलते पानी का उपयोग मणिकरण साहिब में आने वाले भक्तों के लिए लंगर तैयार करने के लिए किया जाता है। इस गर्म पानी का राज जानने के लिए विदेशों के कई वैज्ञानिकों का आना जाना लगा रहता है। चलिए आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के इस फेमस गुरुद्वारे के इस रहस्यमयी कुंड के बारे में बताते हैं, जहां का पानी कड़ाके की ठंड में भी गर्म रहता है।

गुरुद्वारा मणिकर्ण साहिब -


ये चमत्कारी कुंड, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में पार्वती घाट में स्थित गुरुद्वारा मणिकर्ण साहिब में मौजूद है। जानकारी के अनुसार, ये गुरुद्वारा 1760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और कुल्लू शहर से यहां की दूरी 35 किमी है।

कुंड को लेकर पौराणिक कथा -

गुरूद्वारे के मणिकर्ण नाम के पीछे एक पौराणिक कथा है। ऐसा माना जाता है कि धार्मिक जगहों और भगवान शिव और माता पार्वती ने 11 हजार साल तक तपस्या की थी। लेकिन यहां रहने के दौरान देवी पार्वती का कीमती रत्न या मणि पानी में गिर गया था।

शेष नाग की एक फुंकार से पानी हो गया था गर्म -

भगवान शिव ने अपने शिष्यों को मणि ढूंढने का आदेश दिया, लेकिन लाख प्रयासों के बाद भी शिष्य नाकामयाब रहे। इस बात पर भगवान शिव क्रोधित हुए और उनकी तीसरी आंख खुल गई। ये देखकर वहां नैना देवी शक्ति प्रकट हो गई, जिन्होंने बताया कि मणि पाताल लोक में शेष नाग के पास है। इस तरह शिष्य उनसे मणि वापस लेकर आ गए, लेकिन ये बात शेष नाग को जरा भी पसंद नहीं आई और उन्हें इतना क्रोध आया कि उनकी फुंकार से गर्म पानी की एक धारा शुरू हो गई।

गुरु नानक के आने से हुई थी गर्म पानी बहने की शुरुआत -

ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर एक बार गुरु नानक अपने पांच शिष्यों के साथ यहां आए थे। उन्होंने लंगर के लिए अपने एक शिष्य भाई मर्दाना को दाल और आटा मांग कर लाने को कहा। इसके साथ ही उन्होंने एक पत्थर भी लाने के लिए भी उन्हें कहा था। ऐसा कहा जाता है कि जैसे ही मर्दाना ने पत्थर उठाया, वहां से गर्म पानी की धारा निकलती हुई दिखाई देने लगी। ऐसा कहते हैं कि तब से गर्म पानी लगातार बह रहा है और इस तरह वहां एक कुंड का निर्माण भी हो गया है।

मोक्ष की प्राप्ति होती है -


ये जगह सिखों के साथ-साथ हिंदुओं के लिए धार्मिक महत्व रखता है। यहां श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। वहीं, गुरूद्वारे के लंगर के लिए इस गर्म पानी उपयोग चावल व दाल उबालने के लिए किया जाता है। साथ ही माना जाता है कि कुंड में नहाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

(स्रोत : नवभारत टाइम्स)


No comments:

Post a Comment