Thursday 27 January 2022

बिहार में शराब पीते पकड़े जाने पर पेनल्टी देकर होगी छुट्टी! जानें शराबबंदी कानून में क्या छूट दे सकती है नीतीश सरकार

बिहार में शराब पीते पकड़े जाने पर पेनल्टी देकर होगी छुट्टी! जानें शराबबंदी कानून में क्या छूट दे सकती है नीतीश सरकार


पटना: बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून के ठीक से लागू नहीं होने के आरोपों और हाल में हुई जहरीली शराब से मौत की संबंधी घटनाओं के बाद नीतीश सरकार इस कानून को कम सख्त बनाने के लिए इसमें संशोधन करने की योजना बना रही है। बिहार के उत्पाद आयुक्त बी कार्तिकेय ने सोमवार को कहा, 'शराबबंदी कानून में संशोधन लंबे समय से विचाराधीन थे। पहली बार शराब पीते पकड़े जाने पर पेनल्टी लेकर छोड़ने वाली बात का संशोधन अधिनियम में 2018 में ही हो गया था। परन्तु अब जो बदलाव ला रहे हैं वह यह है कि पहले 50 हजार रुपये पेनल्टी लेकर छोड़ने का अधिकार न्यायपालिका के पास था और अब हम प्रस्तावित कर रहे हैं कि यह अधिकार कार्यपालक दंडाधिकारी को दे दिया जाए। फिलहाल यह प्रस्ताव चर्चा स्तर पर है। यह अंतिम राय नहीं है, अलग-अलग स्तर पर हम लोग इसपर फीडबैक लेंगे।'

एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहली बार शराब के नशे में पकड़े जाने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, बल्कि जुर्माना अदा करने के बाद उसे मौके पर ही छोड़ दिया जाएगा। इस संबंध में फरवरी में विधानसभा के अगले सत्र में संशोधन विधेयक पेश किए जाने की संभावना है।

इस संबंध में फरवरी में विधानसभा के अगले सत्र में संशोधन विधेयक पेश किए जाने की संभावना है। अधिकारी ने कहा, ‘सरकार बिहार मद्य निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम 2016 में कुछ बदलाव ला सकती है। वह नियमों में ढील देने के लिए वित्तीय दंड का प्रावधान शुरू करने पर विचार कर रही है।’

उन्होंने कहा, ‘जो लोग शराब के नशे में पकड़े जाएंगे, उन्हें मौके पर जुर्माना देकर छोड़ा जा सकता है। हालांकि ऐसा दोहराने वाले लोगों पर यह लागू नहीं होगा। जुर्माना का भुगतान करने में विफल रहने पर एक महीने के साधारण कारावास का प्रावधान होगा, लेकिन बार-बार अपराध करने पर अतिरिक्त जुर्माना या कारावास अथवा दोनों का प्रावधान किया जा सकता है। शराबबंदी कानून के मानदंडों का बार-बार उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है।’

अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राज्य सरकार शराब उल्लंघन में शामिल पाए जाने वाले वाहन चालक को जुर्माना अदा कर छोडने के प्रस्ताव पर भी विचार कर रही है। शराबबंदी से जुड़े लंबित मामलों के निपटारे के लिए जिलों में अदालतों की संख्या बढ़ाने का भी प्रस्ताव है। अपर मुख्य सचिव (गृह) चैतन्य प्रसाद ने बताया कि अंतर विभागीय परामर्श के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा की गई।

अधिकारियों ने राज्य में शराब के उत्पादन, व्यापार, भंडारण, परिवहन, बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाने के लिए 2016 में बनाए गए कानून में संशोधन के कारणों के बारे में विस्तार से नहीं बताया। राज्य में पिछले छह महीनों में 60 से अधिक लोगों की जान लेने वाली जहरीली शराब संबंधी त्रासदियों के बाद मुख्यमंत्री गठबंधन साझेदार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल दोनों के निशाने पर आ गए हैं। नालंदा जिले में इस महीने की शुरुआत में जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की मौत हो गई थी।

बीजेपी प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने कहा था कि बिहार में शराबबंदी विफल रही, जिसका कारण अधिकारियों द्वारा सख्ती से इसका पालन नहीं करना और धन उगाही के लिए इसका इस्तेमाल करना रहा है। उच्चतम न्यायालय ने हाल में टिप्पणी की थी कि शराब कानून बिहार में न्यायपालिका के कामकाज को प्रभावित कर रहा है। पटना उच्च न्यायालय के 14-15 न्यायाधीश केवल बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम के तहत की गई गिरफ्तारियों से संबंधित जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रह रहे हैं। बार-बार प्रयास करने के बावजूद मद्य निषेध और आबकारी मंत्री सुनील कुमार टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हुए ।

(स्रोत : नवभारत टाइम्स)

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