Saturday 5 February 2022

7 साल पहले छूटी पढ़ाई, मां के साथ चाय बेची...पहले प्रयास में NEET पास कर एम्स दिल्ली पहुंचे

7 साल पहले छूटी पढ़ाई, मां के साथ चाय बेची...पहले प्रयास में NEET पास कर एम्स दिल्ली पहुंचे



बरपेटा: असम (Assam News) के एक चाय बेचने वाले लड़के ने पहले ही प्रयास में बेहद कठिन एग्जाम्स में से एक NEET पास किया है। इतना ही नहीं उन्हें प्रतिष्ठित एम्स-दिल्ली में सीट मिली है। राज्य के बजली जिले के निवासी 24 वर्षीय राहुल दास के लिए अपनी मां की दुकान में ग्राहकों को चाय परोसने के साथ-साथ पढ़ाई की। राहुल के लिए यह आसान काम नहीं था, लेकिन उन्होंने इन चुनौतियों का सामना किया और अपना लक्ष्य हासिल करने में सफल रहे।

दास और उनके भाई का लालन-पालन उनकी मां ने किया, जो करीब 11 साल पहले अपने दो बेटों की देखभाल के लिए अकेली रह गई थीं। गरीबी ने दास को 12वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर किया, लेकिन उन्होंने डॉक्टर बनने का सपना नहीं छोड़ा। दास ने कहा कि वह जिले के पटाचरकुची चौक इलाके में अपनी मां की दुकान पर ग्राहकों की सेवा करने के बीच पढ़ाई के लिए समय निकालते थे।

2015 में 12वीं के बाद छूट गई थी पढ़ाई

राहुल ने कहा, 'मैंने अपनी माँ को हमारे लिए कड़ी मेहनत करते देखा है। हम दुकान पर एक सहायक नहीं रख सकते थे। मैं किसी न किसी तरह से उनकी मदद करता...मैंने चाय बनाई और बेची और जब भी संभव होता, मैं दुकान में पढ़ने के लिए बैठ जाता।' दास ने साल 2015 में बारहवीं की परीक्षा पास की थी और फिर पैसों के अभाव में पढ़ाई छोड़ दी थी।

पढ़ाई छूटने के दो साल बाद इंजिनियरिंग का डिप्लोमा किया

हालांकि, पढ़ाई के लिए उत्साह के चलते दो साल बाद दास प्लास्टिक इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के लिए सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी पहुंच गए। दास ने तीन साल बाद विशिष्ट योग्यता (85 प्रतिशत अंक) के साथ इस कोर्स में सफलता हासिल की और गुवाहाटी में एक मल्टि नैशनल कंपनी में 'क्वालिटी इंजीनियर' के रूप में अक्टूबर 2020 में कोविड महामारी के बीच नौकरी शुरू की।


नौकरी में मन नहीं लगा, तब शुरू की नीट की तैयारी

उन्होंने कहा, 'नौकरी से कोई संतुष्टि नहीं थी...मैं हमेशा से एक डॉक्टर बनना चाहता था। मेरे एक चचेरे भाई डेंटल सर्जन हैं और वह मेरी प्रेरणा बने। मैंने अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला किया और जो भी संसाधन थे, उनसे नीट की तैयारी शुरू कर दी। ये संसाधन ऑनलाइन उपलब्ध थे क्योंकि मेरे पास किताबें खरीदने के लिए पैसे नहीं थे।’ दास के एक हाथ को जलने से नुकसान पहुंचा था।

दुकान की जमीन के मालिक ने कभी किराया नहीं लिया

उन्होंने कहा कि नीट में उन्हें 12,068 रैंक मिली है, लेकिन उनके अनुसूचित जाति और दिव्यांगता प्रमाणपत्रों ने उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में प्रवेश दिलाने में मदद की। उन्होंने उन सभी का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने परिवार की जरूरत के समय में आर्थिक या अन्य माध्यमों से मदद की। दास ने कहा, ‘माँ की दुकान मंटू कुमार शर्मा के स्वामित्व वाली जमीन पर है, जिनकी पटाचरकुची चौक पर हार्डवेयर की एक बड़ी दुकान है। लेकिन उन्होंने हमसे कभी किराया नहीं लिया। वास्तव में, उन्होंने अब दिल्ली के लिए मेरा टिकट बुक कराया है।’


दो दिन पहले दुकान पर आए मंत्री और मदद की

उन्होंने कहा, 'हम जिला उपायुक्त भारत भूषण देवचौधरी के आवास के पास के परिसर में रहते हैं। उन्होंने कई तरह से हमारी मदद की है। असम के मंत्री रंजीत कुमार दास ने दो दिन पहले हमारी दुकान का दौरा किया और तत्काल जरूरत के लिए मुझे 10,000 रुपये दिए।' संपर्क करने पर देवचौधरी ने बताया कि परिवार पटाचरकुची में उनके पुश्तैनी घर के परिसर में रहता है और उन्होंने इसके लिए कभी किराया नहीं लिया।

(स्रोत : नवभारत टाइम्स)

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